चन्देरी एक छोटा सा शहर जो जाना जाता है अपने गौरवशाली इतिहास चन्देरी साड़ी धार्मिक और आद्यात्मिक और अब स्त्री और सुई धागा के लिये।
Friday, September 30, 2016
Tuesday, September 13, 2016
जितनी दुनिया मैंने अब तक देखी है और जितना तजुर्बा मुझे है, मैंने ज़्यादातर राम मन्दिर ही देखे हैं लेकिन बुंदेलखंड में रहते हुए कुछ लक्ष्मण मन्दिर भी देखने को मिले उनमे से एक के दर्शन कर लीजिये।
वैसे मैं आप को बता दूँ के न तो मैंने ज़्यादा दुनिया देखी और न ही इतना तजुर्बा है मुझे के मैं इस बात की गहराई में जाऊ के राम मन्दिर ज़्यादा हैं या लक्ष्मण हैं मेरा मकसद तो आपका परिचय चन्देरी के लक्ष्मण मन्दिर से करवाने का है बिना किसी बहस में पड़े, और वैसे भी जहाँ लक्ष्मण हों वहाँ राम न हों ये तो असंभव है।
Friday, September 9, 2016
मुझे नहीं पता के मेरी हदें बढ़ गयीं या मेरे शहर की सरहदें बढ़ गई ।
कहने को तो मैं पर्यटन की सेवाओँ में पिछले 10 सालो से हूँ पर बुंदेलखंड मेरी नज़र में चन्देरी से शुरू हो कर ओरछा पे ख़त्म हो जाया करता था, पर पिछले कुछ अरसे से ऐसा नहीं है और इस बात का ज़िम्मेदार मैं कुछ लोगों और कुछ कहानियों को मानता हु ।
कहानियाँ तो मई भी बोहत सुनाता हु मेरे मेहमानो को जो चन्देरी देखने आते हैं पर इस बार कुछ अलग हुआ, एक मेहमान के साथ सफ़र पे मेरा रुख खुजराहो की तरफ था और इस सफ़र के दरम्यान मेरा गुज़र हुआ असली बुंदेलखंड से या कहिये मेरा तार्रुफ़ हुआ बुंदेलखंड से। खुजराहो जाने के लिये जो रास्ता हमने लिया वो चन्देरी से शुरू हुआ दरम्यान में टीकमगढ़ जतारा और कई छोटे बड़े गाओं से होकर गुज़रा और यकीन मानिये इस सफ़र ने मेरा नजरिया हे तब्दील कर दिया अपने घर आँगन के बारे में। क्या क्या खूबसूरत महलों को देखने का मौका मिला शायद ही अल्फाज़ो में बयाँ कर पाउँगा और एक बात हुई अब मैं कहानियाँ सुनाता नहीं दिखाता हूँ बुंदेलखंड के रूप में।
तो वक़्त निकाल के आइये और कुछ दिन गुजारिये मेरे और मेरे बुंदेलखंड के साथ और यकीन मानिये एक जादुई तजुर्बा लेकर लौटेंगे आप अपनी दुनिया में वादा है मेरा।
आपका दोस्त।
नदीम जाफ़री।
कहने को तो मैं पर्यटन की सेवाओँ में पिछले 10 सालो से हूँ पर बुंदेलखंड मेरी नज़र में चन्देरी से शुरू हो कर ओरछा पे ख़त्म हो जाया करता था, पर पिछले कुछ अरसे से ऐसा नहीं है और इस बात का ज़िम्मेदार मैं कुछ लोगों और कुछ कहानियों को मानता हु ।
कहानियाँ तो मई भी बोहत सुनाता हु मेरे मेहमानो को जो चन्देरी देखने आते हैं पर इस बार कुछ अलग हुआ, एक मेहमान के साथ सफ़र पे मेरा रुख खुजराहो की तरफ था और इस सफ़र के दरम्यान मेरा गुज़र हुआ असली बुंदेलखंड से या कहिये मेरा तार्रुफ़ हुआ बुंदेलखंड से। खुजराहो जाने के लिये जो रास्ता हमने लिया वो चन्देरी से शुरू हुआ दरम्यान में टीकमगढ़ जतारा और कई छोटे बड़े गाओं से होकर गुज़रा और यकीन मानिये इस सफ़र ने मेरा नजरिया हे तब्दील कर दिया अपने घर आँगन के बारे में। क्या क्या खूबसूरत महलों को देखने का मौका मिला शायद ही अल्फाज़ो में बयाँ कर पाउँगा और एक बात हुई अब मैं कहानियाँ सुनाता नहीं दिखाता हूँ बुंदेलखंड के रूप में।
तो वक़्त निकाल के आइये और कुछ दिन गुजारिये मेरे और मेरे बुंदेलखंड के साथ और यकीन मानिये एक जादुई तजुर्बा लेकर लौटेंगे आप अपनी दुनिया में वादा है मेरा।
आपका दोस्त।
नदीम जाफ़री।
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